डॉ दीपक के अनुसार इस वर्ष सावन का महीना 11 जुलाई 2025 से शुरू होकर 9 अगस्त 2025 तक चलेगा। इस दौरान कुल चार सोमवार आएंगे। सावन का समापन रक्षाबंधन पर्व के साथ होगा, जो भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक है, जो इस बार 9 अगस्त को मनाया जाएगा।
सावन में 4 सोमवार
सावन में 4 सोमवार व्रत रहेंगे। इसके अलावा कई विशेष शुभ योग भी आएंगे। ऐसी मान्यता है कि इस माह में किए गए सोमवार के व्रत का फल बहुत जल्दी मिलता है।
सावन सोमवार की तिथियां
पहला सोमवार- 14 जुलाई 2025
दूसरा सोमवार- 21 जुलाई 2025
तीसरा सोमवार- 28 जुलाई 2025
चौथा सोमवार- 4 अगस्त 2025
मंगला गौरी व्रत तिथि
पहला मंगला गौरी व्रत - 15 जुलाई
दूसरा मंगला गौरी व्रत – 22 जुलाई
तीसरा मंगला गौरी व्रत – 29 जुलाई
चौथा मंगला गौरी व्रत – 5 अगस्त
सावन का महत्व
सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा अर्चना का विशेष फल प्राप्त होता है। मान्यता है इस दिन जो भी पार्वती और भगवान भोलेनाथ की आराधना करता है उसे सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान भोलेनाथ को अपने पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने कठोर तपस्या की थी।
इसके फलस्वरूप महादेव ने पार्वती जी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वर दिया। मान्यता है कि जो भी सावन के सोमवार में भगवान भोलेनाथ की पूरी श्रद्धा के साथ पूजा करता है उसे मनचाहा वर या वधू प्राप्त होता है। इसके अलावा सावन के सोमवार का व्रत रखने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है और इसके अलावा राहु-केतु का अशुभ प्रभाव दूर होता है।
मां पार्वती को भी सावन अत्यंत प्रिय
भगवान शंकर को जिस तरह से सावन मास प्रिय है। ठीक उसी तरह से मां पार्वती को भी सावन का महीना अत्यंत प्रिय है। मान्यता है कि सावन महीने में सोमवार के दिन भगवान शंकर की पूजा करने से मनचाहा वरदान प्राप्त होता है। वहीं सावन के मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रकने से मां पार्वती की कृपा से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।
सावन व्रत त्योहार
12 जुलाई जया पार्वती व्रत
14 जुलाई सावन का पहला सोमवार, संकष्टी चतुर्थी
15 जुलाई नाग पंचमी (कृष्ण पक्ष) पहला मंगला गौरी व्रत
16 जुलाई कर्क संक्रांति
17 जुलाई कालाष्टमी
21 जुलाई सावन का दूसरा सोमवार व्रत, कामिका एकादशी
22 जुलाई भौम प्रदोष व्रत दूसरा मंगला गौरी व्रत
23 जुलाई सावन शिवरात्रि
24 जुलाई हरियाली अमावस्या
27 जुलाई हरियाली तीज
28 जुलाई सावन का तीसरा सोमवार व्रत
29 जुलाई नाग पंचमी (शुक्ल पक्ष) तीसरा मंगला गौरी व्रत
31 जुलाई तुलसीदास जयंती
4 अगस्त चौथा सोमवार व्रत
5 अगस्त श्रावण पुत्रदा एकादशी चौथा मंगला गौरी व्रत
6 अगस्त प्रदोष व्रत
8 अगस्त वरलक्ष्मी व्रत
9 अगस्त रक्षाबंधन, नारली पूर्णिमा, श्री सत्यनारायण व्रत
श्रावण मास (सावन) में पूजा का महत्व बहुत विशेष होता है। श्रावण मास हिन्दू पंचांग का पाँचवां महीना है, जो विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित माना जाता है। इस महीने में पूजा-पाठ, व्रत, उपवास और जलाभिषेक का विशेष महत्व होता है।
श्रावण मास में पूजा का महत्व इस प्रकार है:
? भगवान शिव की विशेष कृपा:
श्रावण मास को शिव का प्रिय महीना माना जाता है। इस महीने में शिवजी की पूजा, रुद्राभिषेक, जलाभिषेक करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है, पाप नष्ट होते हैं और मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
? कांवड़ यात्रा व जलाभिषेक:
श्रावण में शिवभक्त कांवड़ लेकर गंगा जल लाते हैं और शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। यह बहुत पुण्यदायक माना जाता है।
? व्रत और सोमवार के उपवास:
श्रावण में विशेषकर सोमवार को व्रत रखना बहुत फलदायी होता है। कुंवारी कन्याएँ अच्छे वर की प्राप्ति हेतु और विवाहित स्त्रियाँ पति की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं।
? प्रकृति के साथ जुड़ाव:
श्रावण में हरियाली रहती है, पेड़-पौधे लगाना, तुलसी, बेलपत्र आदि की सेवा करना भी पुण्य का काम माना जाता है।
? अन्य देवी-देवताओं की पूजा:
श्रावण में भगवान विष्णु, माता पार्वती, नाग देवता, और श्रीकृष्ण की भी पूजा की जाती है। नाग पंचमी, रक्षाबंधन आदि पर्व भी इसी महीने आते हैं।
संक्षेप में:
श्रावण मास अध्यात्म, भक्ति और प्रकृति के साथ सामंजस्य का महीना है। इसमें भगवान शिव की पूजा करने से पाप नष्ट होते हैं, मनोकामनाएँ पूरी होती हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।